जिस्म की गर्मी – बलात्कार को बढ़ावा देती बॉलीवुड की “दवाई”

किसी व्यक्ति को तेज़ बुखार है या फिर वह भीग कर काँप रहा है तो उसे किसी गरम कम्बल में लपेटना चाहिए या फिर हीटर या आग जला कर कमरे को गरम कर दें तो उसे आराम मिलेगा।  इस प्रक्रिया से कम से कम रोगी को इतना आराम तो मिल ही जाएगा कि उसे डॉक्टर के पास ले जाने के लिए थोड़ा समय मिल जाए।  डॉक्टर भी हाइपोथरमिया (hypothermia) या शरीर का तापमान अचानक गिर जाने पर जिस्म को गरम रखने की सलाह देते हैं।

किन्तु बॉलीवुड फिल्मों में जिस्म को गरम करने का एक अनोखा तरीका अविष्कार किया है। बॉलीवुड के सब से सम्मानित सितारों में से एक कहे जाने वाले सुनील दत्त और अमिताभ बच्चन से लेकर बी ग्रेड मसालेदार फिल्मों में काम करने वाले अक्षय कुमार तक को लगता है कि यदि कोई महिला हाइपोथरमिया की शिकार हो जाए तो उन्हें उस लड़की के साथ सेक्स करने का अधिकार मिल जाता है।

पीड़ित महिला के जिस्म को गरम करने के बहाने ये फिल्मी सितारे अपने कपड़े उतार कर महिला के साथ बिस्तर में घुस जाते हैं।  यहाँ हम आपको ऐसी ही कुछ चुनिन्दा फिल्म क्लिप्स दिखा रहे हैं जहां महिलाओं को जिस्म की गर्मी प्रदान की जा रही है। 

सबसे पहले देखते हैं गोविंदा को। 1993 में आई फिल्म “तेरे पायल मेरे गीत” को रहमान नौशाद ने डायरेक्ट किया था। इस फिल्म के लेखक नौशाद अली थे और डायलग अबरार अल्वी ने लिखे थे। इस फिल्म के प्रोड्यूसर प्रेम लालवानी थे।

कपूर खानदान के चश्मोचिराग शशि कपूर रेप थेरेपी यानि जिस्म की गर्मी देने में माहिर माने जाते हैं। 1973 में रिलीज़ हुई फिल्म “आ गले लग जा” में शशि कपूर शर्मिला टैगोर को सर्दी की मौत वाली नींद से बचाने के लिए जिस्म की गर्मी दे रहे हैं।

गरीबों का मसीहा कहलाने वाले कांग्रेसी सांसद और अभिनेता सुनील दत्त भी रेप थेरेपी यानि जिस्म की गर्मी देने में पीछे नहीं रहे। 1982 में आयी हिन्दी फिल्म बदले की आग में रीना रॉय का जीवन बचाने के लिए उनके पास जिस्म की गर्मी देने के अलावा कोई चारा नहीं था।  रेप थेरेपी करने के बदले में अहसान मानते हुए रीना राय उन्हें कहती हैं कि वे इंसान हैं देवता हैं।

सदी के महानायक अमिताभ बच्चन रेप थेरेपी के मामले में भी बॉलीवुड के शहँशाह साबित हुए हैं।  उन्होंने अपनी कई फिल्मों में रेप थेरेपी के नाम पर न जाने कितनी अभिनेत्रियों के साथ बलात्कार किया है। यहाँ हम आपको उनकी कुछ चुनिन्दा फिल्मों की क्लिपिंग्स दिखा रहे हैं।

इन फिल्म क्लिप्स को देख कर क्या आपको नहीं लगता है कि हमारे फिल्मी सितारे अप्रत्यक्ष रूप से बलात्कार को प्रोमोट कर रहे हैं? क्या ऐसे अभिनेताओं, निर्माताओं और लेखकों को जो आज जीवित हैं, इस तरह के भद्दे विचारों को प्रमोट करने के लिए माफ़ी नहीं माँगनी चाहिए?

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