धार्मिक ग्रंथो के बारे में हमारी अज्ञानता देती है बॉलीवुड को मज़ाक उड़ाने का मौका

आज के 24×7 व्यस्त जीवन में ऐसे बहुत मिलेनियल्स होंगे जिन्हें हमारे वेद-पुराण पढ़ने का सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ। हमारा मानना है कि इसमें बच्चों से ज्यादा दोषी उनके माँ-पिता हैं जिन्होंने बच्चों को हिन्दू धर्म की उस अलौकिक विरासत के बारे में नहीं बताया जिससे आज सारी दुनिया ज्ञान ले रही है। शायद यही कारण है कि जब भी बॉलीवुड या किसी अन्य स्थान पर कोई हिन्दू धर्म-ग्रंथो का नाम लेकर धर्म का मज़ाक उड़ाता है तो बच्चे उसे सही मान लेते हैं।

बॉलीवुड की फिल्म ‘घर में राम, गली में श्याम’ की यह वीडियो क्लिप देखिए।

इसमें अनुपम खेर एक सेठ का किरदार निभा रहे हैं जो अथर्व वेद के नाम पर एक वेश्या को बेवकूफ बना रहा है। इस किरदार का नाम तिलकधारी सेठ धर्मचंद है जो लड़की से कह रहा है कि “मेरी पत्नी ही नहीं सारा समाज मेरी जेब में है। कोई ईश्वर को शैतान कहे तो लोग मान लेंगे, लेकिन अगर कोई मुझ को शैतान कहे तो लोग नहीं मानेंगे। लोग कहेंगे कि वो पागल है। इसलिए अगर तुम मेरी बदनामी करोगी तो लोग तुम्हें पागल समझेंगे। जो दूसरों का विश्वास हासिल करेगा ईश्वर भी उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकते हैं। ऐसा अथर्व वेद के 18वें अध्याय के 18वें श्लोक में लिखा है। जाओ घर जाकर पढ़ लो।”

अब अगर आपने कभी अथर्व वेद संहिता नहीं पढ़ी है तो शायद आप अनुपम खेर की इस बात को सही मान लेंगे और साथ ही यह भी मान लेंगे कि हमारे धार्मिक ग्रंथो से गलत शिक्षा मिलती है। इसलिए हमारा आप सभी से अनुरोध है कि अपने बच्चों को व्यावसायिक शिक्षा के साथ-साथ धार्मिक शिक्षा भी अवश्य दें। 

आपको बता दें की ये फ़िल्म 1988 में रिलीज़ हुई थी। यह तेलेगु फिल्म इंतिओ रामय्या वेडीयो कृष्णय्या (Intlo Ramayya Veedhilo Krishnayya) का रिमेक है जिसके हीरो चिरंजीवी थे। घर में राम, गली में श्याम का संक्षिप्त विवरण (summary) इस प्रकार है:

फिल्म का नाम – घर में राम गली में श्याम

रिलीज़ होने का वर्ष – 1988

निर्देशक – सुभाष सौनिक

पात्र परिचय – बीना बनर्जी (श्रीमति श्रीवास्तव), रीटा भादुडी (श्रीमति धर्मचंद), गोविंदा (अमर), निवेदिता जोशी (कमला), अनुपम खेर (धर्मचंद), नीलम कोठारी (जया श्रीवास्तव), किर्ति कुमार (अमर का बॉस), खुशबू (मुन्नी), सतीश शाह (श्रीवास्तव)

निर्माता – जयराम गुलबानी

संगीत – अमर बिस्वास-उत्पल बिस्वास  

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