जानिए कैसे हिन्दू विरोधी पाकिस्तान के सितारों को बॉलीवुड ने सर आँखों पर बैठाया

हिन्दू लड़की-मुस्लिम लड़के की कहानी बॉलीवुड फिल्म निर्माताओं के लिए सबसे अच्छे विषयों में से एक रहा है। अपने इस सेक्युलर एजेंडे को हिंदुस्तान के फिल्म निर्माता कभी स्पष्ट तौर पर मुख्य किरदारों के माध्यम से तो कभी साइड लाइन में चल रही दूसरी कहानी के जरिए बड़ी चतुराई से पेश करते हैं। लेकिन क्या आप यह भी जानते हैं कि पड़ोसी देश इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ पाकिस्तान में भी फिल्म निर्माताओं का पसंदीदा विषय रहा है। वहाँ की फिल्म इंडस्ट्री को बॉलीवुड की तर्ज पर लॉलीवुड कहा जाता है।

अपने इस लेख में हम लॉलीवुड की हिट फिल्म “बार्डर” का रिवियु कर रहे हैं। इस फिल्म की मुख्य कहानी के साथ था एक मुस्लिम लड़का-हिन्दू लड़की की प्रेम कहानी भी चलती है। यह फिल्म 2002 में रिलीज़ हुई थी।

इस फिल्म के हीरो पाकिस्तानी सुपरस्टार शान शाहिद हैं जो 200 से भी ज्यादा फिल्मों में काम कर चुके हैं और पाकिस्तान के सबसे महंगे कलाकार माने जाते हैं। उनकी अब तक की सबसे हिट मूवी 2007 में रिलीज़ हुई “खुदा के लिए” रही है जिसमें हिंदुस्तानी कलाकार नसीरुद्दीन शाह ने भी एक मौलवी की छोटी सी भूमिका निभाई है।  इस फिल्म ने हिंदुस्तान में भी रेकॉर्ड बनाया था। वर्ष 1965 में हिंदुस्तान-पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध के बाद यह पहली पाकिस्तानी फिल्म थी जो भारत में भी रिलीज़ हुई थी।

पाकिस्तानी फिल्म “बार्डर” की कहानी भारतीय सेना में मेजर भारत और पाकिस्तानी सेना के मेजर खालिद के बीच मजहबी दुश्मनी पर आधारित है।  इस फिल्म के सभी पात्र काल्पनिक थे।

चितपरिचित पाकिस्तानी इस्लामिक प्रॉपगैंडा आधारित इस फिल्म की कहानी इसके निर्माताओं की सोच की तरह ही घटिया और हिन्दू विरोधी है। खैर अभी हम इस पर बात न कर फिल्म की उस प्रेम कहानी पर बात करते हैं जिसके प्रमुख पात्र पाकिस्तानी लड़का खालिद और हिंदुस्तानी लड़की प्रीति है।

पाकिस्तान लगातार इस बात का दुष्प्रचार करता रहता है कि भारतीय सैनिक मुस्लिम महिलाओं के साथ बलात्कार करते रहते हैं और मुसलमान युवक हिन्दू युवकों के मुक़ाबले बहुत अधिक ताकतवर होते हैं।  पाकिस्तानी फिल्म “बार्डर” में भी ये दोनों मसाले मौजूद हैं। फिल्म के एक सीन में भारतीय सैनिक एक मुस्लिम महिला को बंधक बना कर बलात्कार करते हुए दिखाई देते हैं। महिला हिंदुस्तानी सैनिकों को बार-बार “हिन्दू कुत्ते” कह कर चिल्ला रही है।  (ध्यान देने वाली बात यह है कि वह बलात्कारियों को हिंदुस्तानी कुत्ता हैं बल्कि हिन्दू कुत्ता कह रही है। कल्पना कीजिए अगर किसी भारतीय फिल्म में बलात्कारी को मुस्लिम कुत्ता कहा जाए तो कितना यहाँ लिबरल और मुसलमान कितना हँगामा करेंगे)।

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फिल्म की कहानी कुछ इस तरह है – मेजर खालिद और मेजर भारत दुबई में आयोजित एक बॉक्सिंग मुक़ाबले में भाग लेने जाते हैं। इस मुक़ाबले में प्रीति चीफ गेस्ट हैं।  प्रीति का किरदार पाकिस्तानी अभिनेत्री सना नवाज ने निभाया है। फिल्म में प्रीति को दुबई में भारत के राजदूत गोपीचन्द (काल्पनिक नाम) की बेटी बताया गया है।

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मेजर खालिद जैसे ही स्टेडियम में लगे पाकिस्तानी झंडे को देखता है तो उसका शरीर लोहे जैसा मजबूत हो जाता है और उसपर मेजर भारत के मुक्कों का कोई असर नहीं होता है। दूसरी ओर मेजर भारत, खालिद का मुक्का खाते ही रिंग से उड़ता हुआ प्रीति के कदमों में जाकर गिर जाता है।

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खालिद का यह कारनामा देखकर प्रीति भारत को इग्नोर कर खालिद पर फिदा हो जाती है।   इसके अगले दृश्य में दिखाया गया है कि प्रीति खालिद के कमरे में पहुँच जाती है। प्रीति खालिद को एक बुके देते हुए अपने दिल पर खालिद का ऑटोग्राफ मांगती है।

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इसके बाद कहानी पाकिस्तान पहुँच जाती है जहां प्रीति खालिद से मिलने पहुँच जाती है और उसके प्रेम में गिरफ्तार हो जाती है। इसके बाद एक गाना आता है जिसके बोल हैं “मैं न जानु धर्म को, मैं न जानु रस्में-कसमें”।  इस गाने को एक में मंदिर के प्रांगण में भी फिल्माया गया है।

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फिल्म में अभी तक बैकग्राउंड में चल रहा इस्लामिक दुष्प्रचार अब अपने कट्टर रूप में सामने आने लगता है। कश्मीर में हिंदुस्तान-पाकिस्तान बार्डर पर हिंदुस्तानी सिपाही कश्मीरी मुस्लिम महिलाओं का बलात्कार करते हुए दिखाए जाते हैं। उधर प्रीति की तलाश में निकले मेजर भारत किसी तरह से मेजर खालिद और प्रीति को पकड़ लेते हैं। फिल्म में दिखाया जाता है कि जब मेजर भारत खालिद की पिटाई कर रहे हैं तो पीछे से एक औरत कहती है कि मुसलमान फौजी (पाकिस्तानी फौजी नहीं) को मत मारो वरना हम तुम्हें ज़िंदा नहीं छोड़ेंगे।

भारत उस महिला को थप्पड़ मारता है तो महिला नीचे गिर जाती है।  इसे देख प्रीति गुस्से में कहती है “औरतों पर ज़ुल्म करना हिन्दू कौम की पुरानी रिवायत है और ये मैं अच्छी तरह से जानती हूँ”।

भारत प्रीति की बात पर ध्यान नहीं देता है और ताना मारते हुए कहता है कि “माथे पर बिंदिया और मन में मुसल्ला? छी-छी!” भारत प्रीति से कहता है कि वह खालिद के चेहरे पर थूके लेकिन प्रीति सबके सामने खालिद को किस करती है और भारत के चेहरे पर थूक देती है।

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फिल्म के अंत में प्रीति ऐलान करती है कि वह अब “हिंदुस्तान की बेटी नहीं रही”। अब वह पाकिस्तान की बेटी है और पाकिस्तान की बेटी के रूप में ही मारेगी।

इस फिल्म को देखने के बाद बहुत से हिंदुस्तानी कहेंगे कि इसमें आश्चर्य की क्या बात है! यह एक पाकिस्तानी फिल्म है और पाकिस्तानी फिल्में हिन्दू-विरोधी और भारत विरोधी तो होंगी ही।

बहरहाल, हमारा मानना है कि पाकिस्तानी फिल्मों के हिन्दू और भारत विरोधी एजेंडा को भी उसी तरह उजागर करना जरूरी है जिस तरह हम (@gemsofbollywood) के माध्यम से बॉलीवुड की फिल्मों के बारे में कर रहे हैं।

यहाँ गौर करने वाली बात यह है कि सना नवाज़ और शान शाहिद ने केवल बार्डर नहीं बल्कि इस जैसी कई हिन्दू और भारत विरोधी फिल्मों में काम किया है।  यह जानते हुए भी बॉलीवुड के निर्माताओं ने उन्हें बहुत सी फिल्में ऑफर की हैं।

शान शाहिद, एक लेखक, अभिनेता और निर्देशक के रुप में कई भारत और हिन्दू विरोधी फिल्में बना चुका है लेकिन बॉलीवुड स्टार “आमिर खान” ने उसे “गजनी” में एक प्रमुख भूमिका ऑफर की थी। शान ने यह कहते हुए इस ऑफर को ठुकरा दिया था कि उसके फैन उसे एक हिंदुस्तानी के हाथों पिटते हुए नहीं देख सकते हैं। दरअसल आमिर खान ने शान को गजनी का रोल ऑफर किया था।

वर्ष 2013 में पाकिस्तानी अखबार डॉन को दिए एक इंटरव्यू में शान ने कहा था कि “मुझे आमिर खान ने एक विलेन का रोल करने का ऑफर दिया था। मैंने AK (आमिर खान) से कहा दिया कि फिल्म के लिए मैं उतने पैसे ही चार्ज करूंगा जितना सूर्य शिवकुमार को मिला था। अमीर खान ने मेरी बात मान ली लेकिन मैंने उससे मेरे फाइनल आन्सर का इंतजार करने के लिए कहा। हफ्ते भर सोचने के बाद मैंने आमिर खान का ऑफर ठुकरा दिया। मैंने आमिर खान से माफी मांगते हुए कहा कि अगर मैं हिंदुस्तानी फिल्म में विलेन का रोल करूंगा तो फिल्म का हिंदुस्तानी हीरो मुझे मारेगा। यह मेरे और पाकिस्तान दोनों ही के लिए बहुत बड़ी बेइज्जती होगी।

दूसरी ओर सना नवाज़ को 2007 में रिलीज हुई बॉलीवुड फिल्म “काफिला” में लॉंच किया गया था। इस फिल्म को एक अनजाने डायरेक्टर अम्म्तोजी मान ने डायरेक्ट किया था जिन्होंने 1984 के दंगों पर आधारित फिल्म “हवाइयाँ” भी बनाई थी।

सना नवाज ने 2013 में रिलीज़ हुई एक पंजाबी फिल्म में भी काम किया था जिसके हीरो पंजाबी गायक-अभिनेता इंदरजीत निक्कु थे।  इस फिल्म में चित परिचित हिन्दू विरोधी अभिनेता अक्षय कुमार ने भी एक मेहमान भूमिका निभाई थी।  इस फिल्म में पाकिस्तानी कमेडियन सरदार कमाल और हया अली ने भी काम किया था।

क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि एक हिंदुस्तानी कलाकार एंटी-मुस्लिम और एंटी पाकिस्तानी डायलाग बोले और फिर भी उसका पाकिस्तान में सम्मान हो स्वागत किया जाए।

जरा सोचिए क्या यह संभव है कि एक हिंदुस्तानी अभिनेत्री के बॉलीवुड फिल्म में डायलाग हों कि “औरतों पर ज़ुल्म करना मुस्लिम कौम की पुरानी रिवायत है और ये मैं अच्छी तरह जानती हूँ” और इसके बाद भी उसे किसी पाकिस्तानी फिल्म में हीरोइन की भूमिका ऑफर हो?

(This is a Hindi translation of an article by Gems of Bollywood founders published on Swarajya here.)

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